सरकार की तलाश में

                                                                                                                              In search of the state

11th November, 2016 | Gujarat  

हर सुबह निकलते हैं उसकी तलाश में,

काला-गोरा, मोटा-पतला, अमीर-ग़रीब, बूढ़ा-जवान:

कैसा होगा वो?

कोई खबर नही–

फिर भी निकलते हैं उसकी तलाश में

हर सुबह,

हर घर में ढूँढते है उसे:

क्या पता कहीं पटेल के खेत में छिपा हो,

या उनकी गोशालाओं में?

कहीं लुहारिन के चिथड़े दुप्पटे के पीछे से झाँक रहा हो

या मंदिर के सामने बैठे उस भिक्मन्गे के खाली कटोरे से?

कहाँ होगा वो?

कोई खबर नहीं–

फिर भी निकलते हैं उसकी तलाश में

हर सुबह

हर गल्ली, हर नुक्कड़ में छानते है उसे:

वीरान पंचायत के सन्नाटे में,

पुराने दफ़्तरों और उनकी फाइलों की धूल में|

पोलीस चौकी भी गये थे हम, उसकी तलाश में

पर वहाँ सिर्फ़ लापते मिले, सरकार नही |

मंदिरों में गये उसे ढूँढने

पर वहाँ भी भगवान ही मिले, सरकार नही |

यह कैसा पेचीदा तलाश है:

क्या है वो?

कैसा है  वो?

कहाँ मिलेगा वो?

कोई खबर नही —

पर फिर भी निकलते हैं उसकी तलाश में

हर सुबह, हर घर, हर नुक्कड़ में…

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